रामायण में कुबेर भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए कुबेर ने हिमालय पर्वत पर तप किया। तप के अंतराल में शिव तथा पार्वती दिव तथा पार्वती दिाख कुबेर ने अत्यंत सात्त्विक भाव से पार्वती की ओर बायें नेत्र से देखा। पार्वती के दिव्य तेज से वह नेत्र भिव्य तेज से वह नेत्र भिव्य कुबेर वहां से उठकर दूसरे स्थान पर चालर वह घोर तप या तो शिव ने किया था या फिर कुबेर ने किया, अन्य कोई भी देवता उसे पूर्ण रूप से संपन्न नहीं कर पाया था। कुबेर से प autobusë तुमyes
कुबेर ने_ CC781905-5CDE-3194-BB3B-136BAD5CF58D_ ♦ दूत ने कुबेा संदेश दिया कि रावण_ CC781905-5CDE-3194-BB3B-136BAD5CF58D_ अधरtohes_ CC781905-5CDE-3194-BB3B-136BAD5CF58D_ के क क छोड़ छोड़ छोड़ छोड़ छोड़ छोड़ छोड़ छोड़ छोड़ छोड़ छोड़ छोड़ छोड़ छोड़ छोड़ छोड़ छोड़ छोड़ छोड़ छोड़ छोड़ छोड़ छोड़ छोड़ छोड़ छोड़ छोड़ छोड़ छोड़ छोड़ छोड़ छोड़ छोड़ छोड़ छोड़ छोड़ छोड़ छोड़ छोड़ छोड़ छोड़ छोड़ छोड़ छोड़ छोड़ छोड़ छोड़ छोड़ छोड़ छोड़ छोड़ छोड़ छोड़ छोड़ छोड़ छोड़ छोड़ छोड़ छोड़ छोड़ छोड़ छोड़ छोड़ छोड़ छोड़ छोड़ छोड़ छोड़ छोड़ छोड़ छोड़ छोड़ छोड़ छोड़ छोड़ छोड़ छोड़ छोड़, अध 3194, रावण के नंदनवन उजाड़ने के कारण सब देवता उसके शत्रु बन हैं हैं। हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं गये गये र ने क कulmुद होकर उस दूत अपनी खड खड खड से काटकर ♦ कुबेर का यह सब जानकर बहुत बुरा लगा। रावण तथा राक्षसों का कुबेर तथा यक्षसों का कुबेर तथा यक्षु यक्ष बल से थे औ और राक्षस माया से, अत: bi विजयी हुए।।।। हुए हुए हुए हुए हुए हुए हुए हुए हुए हुए हुए हुए विजयी रावण ने माया से अनेक रूप धारण किये तथा कुबेर के सिर पर प्रहार करके उसे घायल कर दिया और बलात उसका पुष्पक विमान ले लिया।
विश्वश्रवा की दो पत्नियां थीं। पुत्रों में कुबेर सबसे बड़े थे। शेष रावण, कुंभकर्ण और विभीषण सौतेले भाई थे। उन्होंने अपनी मां से प्रेरणा पाकर कुबेर पुषा पुष्पक विमान लेकर_ cc781905-5cde-3194-bb3b36bad5cf58d_ लंका_ cc781905-5cde-3194-bb36bad58d58d_ ली। तथ तथ तथ तथ तथ तथ तथ तथ।। समस समस समस 36BAD58DE कुबेर अपने पितामह के पास गये। उनकी प्रेरणा से कुबेर ने शिवाराधनॾक फलसyes गौतमी के तट का वह स्थल धनदतीर्थ नाे नाम स्थल धनदतीर्थ नाे नाम
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